बिहार समेत कई राज्याें में अनलाॅक के साथ ही शुरू हुए पलायन काे देखते हुए बस संचालक मनमाना किराया वसूलने लगे हैं। बल्कि, पटना से जितना किराया हवाई जहाज का है, उससे भी अधिक किराया लाेगाें काे देना पड़ रहा है। बस की एक सीट के दिल्ली के लिए आमताैर पर डेढ़ से 2 हजार रुपए किराया लगता है।
नवंबर 2020 में तो 1300 रुपए था। लेकिन इस समय 5-5 हजार लिए जा रहे हैं। इसके बावजूद भीड़ इतनी बढ़ गई है कि स्टैंडाें से सैकड़ाें लाेगाें काे निराश लाैटना पड़ता है। बुधवार काे यहां से 38 बसें खुलीं, फिर भी हजार से अधिक लाेगाें काे सीट नहीं मिली। इन यात्रियाें ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि मजदूरी के लिए भी पूंजी लगानी पड़ रही है। ऐसे ताे ट्रेन में 500 रुपए खर्च कर पहुंच जाते थे। लेकिन, ये काेराेना का असर है कि 5-5 हजार देने पड़ रहे। वहां जाने पर सेठ भले ये रुपए दे भी दें, लेकिन अभी ताे उधार लेकर ही जाना पड़ रहा। बता दें कि पटना व दरभंगा से हवाई जहाज का दिल्ली के लिए सामान्य किराया पांच हजार से कम है।
बस में सीट के लिए लाइन लगाए लोग।
दोगुना से अधिक किराया वसूल रहे बस संचालक, मजबूरी में यात्रा कर रहे लोग
बता दें कि शहर के दिल्ली, पंजाब व अन्य राज्याें में जानेवाली अधिकतर बसें चांदनी चौक से सदातपुर तिराहे तक लगतीं हैं। इनमें से दर्जनभर यहीं से खुलतीं ताे दाे दर्जन से अधिक दूसरे जिलाें से आती हैं। कुछ बसें बैरिया बस स्टैंड के बाहर से भी खुलती हैं। यात्रियों की भीड़ देख कर संचालक मनमाना किराया ले रहे हैं। जबकि, इन बसाें में कई के पास परमिट नहीं हाेने पर भी विभागीय अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। खासकर बुधवार को जो तस्वीरें सामने आईं, वह चाैंकानेवाली थीं। बैरिया बस स्टैंड के बदले चांदनी चौक से सदातपुर, मोतीपुर से दिल्ली, लुधियाना, भोपाल तक की 38 बसें खुलीं। दाेगुना से अधिक किराया लेने के बावजूद सबकी सीटें फुल हाे गईं और एक हजार से अधिक लाेगाें काे लाैटना पड़ा।
यात्रियाें ने टिकट दिखाते हुए कहा- डबल सीट के लिए 10-10 हजार देकर जा रहे
एक बस का टिकट लिए मीनापुर के सतीश कुमार, रामदयाल सिंह, हीरा महतो, तपस्या यादव आदि यात्रियों ने कहा कि डबल सीट के लिए 10 हजार देकर जा रहे हैं। काफी दिनाें से जब बैठे रहे और यहां काेई राेजगार नहीं मिला ताे सेठ के बुलावे पर परदेस ही जाना पड़ रहा है। इन लाेगाें ने टिकट दिखाते हुए कहा कि कोरोना की दाेनाें लहराें ने उन सबकाे आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया है। वहां जाने पर सेठ भले किराए के रुपए दे दें, लेकिन अभी ताे उधार लेकर जा रहे हैं।
मूकदर्शक है प्रशासन और परिवहन विभाग
बस संचालकों द्वारा मनमाना किराया वसूले जाने के बाद भी जिला प्रशासन व परिवहन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। सरकार के आदेश के बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारी बस संचालकों पर हाथ डालना नहीं चाहते हैं। परिवहन आयुक्त आधा दर्जन से अधिक बार जिला परिवहन व क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को पत्र भेज अवैध रूप से दिल्ली व अन्य जगहाें के लिए खुलनेवालीं बसों को जब्त व जुर्माना करने का निर्देश दे चुके हैं। लेकिन, अब तक किसी बस काे न ताे जब्त किया गया, न ही जुर्माना लिया गया। नतीजा यह है कि बस संचालक मनमाने ढंग से बसें चला रहे और दाे से तीन गुना किराया भी वसूल रहे।
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