पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थानों और पुलिस चौकियों में खजाने व मालखाने को डा’कू सुल्ताना से महफूज रखने के लिए 1887 में अंग्रेजी हु’कूमत ने एक अनोखी तरकीब निकाली थी। इंग्लैंड की एक कंपनी की मदद से ऐसी तिजोरी का निर्माण कराया गया, जिसको तो”ड़ना तो दूर, ज”लाया भी नहीं जा सकता था। यह तिजोरी (ब्लैक बॉक्स) आज भी मुरादाबाद की शहर कोतवाली में महफूज है। पुलिस इसे अपना ब्लैक बॉक्स कहती है।अंग्रेजों के शासनकाल में डा’कू सुल्ताना खुले आम लू’ट करता था। सुल्ताना ने 1887 में नांगल थाने की बिजनौर पुलिस चौकी में लू’टपा’ट की थी। सरकारी खजाने की लू’ट के बाद चौकी में आ’गजनी की घट’ना ने अंग्रेजी हु’कूमत को हि’लाकर रख दिया था।
इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थानों व पुलिस चौकियों को डाकू सुल्ताना से महफूज रखना अंग्रेजों के लिए बड़ी चु’नौती बन गई। इस पर इंग्लैंड की एक कंपनी की मदद से तिजोरी तैयार कराई गई। इसको स’मुद्री जहाज की मदद से इंग्लैंड से भारत लाया गया था। इसका वजन 200 किलोग्राम से भी अधिक है। बता दें कि ब्लैक बॉक्स प्लेन में होता है। प्लेन न’ष्ट होने पर ब्लैक बॉक्स ही सुरक्षित रहता है।22 अक्टूबर को चर्चा में आई तिजोरी मुरादाबाद जिले के नोडल अधिकारी एडीजी कमल सक्सेना और आइजी रमित शर्मा 22 अक्टूबर को शहर कोतवाली का निरीक्षण करने पहुंचे थे। दोनों पुलिस अधिकारियों की नजर मालखाने की एक पुरानी ति’जोरी पर पड़ी। तब पता चला कि तिजोरी का वजूद बहुत पुराना है।
अंग्रेजी हु’कूमत ने डाकुओं के कोप से ब’चने के लिए तिजोरी का सहारा लिया।तिजोरी को तो’ड़ना ही नहीं, बल्कि उसे ज’लाकर न’ष्ट करने में ड’कैत सफल नहीं हो सके थे। कोतवाली प्रभारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि आग में 24 घंटे बाद भी उसमें रखा सामान पूरी तरह से म’हफूज रहता है। तिजोरी दीवार में चिनवाई गई है। साल की लकड़ी से बने दरवाजों की सांकल व सिटकनी भी इंग्लैंड की बनी है. तिजोरी का उपयोग पुलिस आज भी कर रही है। तिजोरी का इस्तेमाल थाने के महत्वपूर्ण अभिलेख और साक्ष्य सुरक्षित रखने में हो रहा है।
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