मुंगेर में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके कारण जिले में बाढ़ का संकट गहराने लगा है। बीते सोमवार को गंगा का जलस्तर 38.83 मीटर रिकोर्ड किया गया। अभी सुबह 6 बजे केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जल स्तर 38.90 है। जबकि अब भी जलस्तर में प्रति तीन घंटे एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ोतरी होने की संभावना जताई गई है। ऐसे में अगले 2-3 दिनों में गंगा खतरे के निशान को पार कर जाएगी। हालांकि अभी से ही गंगा के किनारे स्थित गांवों में रह रहे लोग गंगा के रौद्र रुप देख अपने परिजनों तथा पशुओं के साथ सुरक्षित उंचे स्थान की ओर पलायन करना शुरु कर चुके हैं।
बताते चलें कि गंगा के बीचोबीच स्थित सीताचरण गांव की हर गली में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। यही स्थिति कमोबेश कुतलुपुर तथा जाफर नगर पंचायत की भी है। यहां की भी अधिकांश सड़कें बाढ़ के पानी में डूब चुकी है। इसके अलावा गलियों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। ऐसे में लोगों का घरों से निकलना तक मुश्किल हो गया है।
निचले इलाके में बसे घरों में घुसा गंगा का पानी।
लल्लू पोखर का सीढ़ी घाट डूबा, लालदरवाजा पहुंचा बाढ़ का पानी सोमवार काे लल्लू पोखर का सीढ़ी घाट बाढ़ के पानी में डूब गया। जहां सुबह में बच्चों को पानी में अठखेलियां करते हुए देखा गया। वहीं दूसरी ओर लालदरवाजा में एप्रोच पथ के पीछे ईट भट्ठा के पास भी बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। वहीं हेरुदियारा में एनएच के पास स्थित आवासीय इलाकें में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं दूसरी ओर कुतलपुर पंचायत का हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बाढ़ के पानी से घिर गया है।
अपना सामान लेकर अपने घरों को छोड़ रहे लोग।
जहां कभी भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर सकता है। जबकि आस-पास के कई घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। जबकि वार्ड संख्या में स्थापित जलमीनार पानी में डूब गया है। इस प्रकार कुतलुपुर पंचायत का वार्ड संख्या 01, 02, 03, 05, 15, 16, 17, 18 में बाढ़ के कारण लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब तक स्थानीय लोगों को नाव मुहैया नहीं कराया गया है। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में लोगों का जान बचाना भी मुश्किल हो गया है। इस बाबत स्थानीय वार्ड सदस्य पंकज कुमार सिंह ने कहा कि सदर सीओ कार्यालय द्वारा विगत वर्ष में इस क्षेत्र में चलाए गए नाव के मालिक को राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जबकि कई बार मांग करने के वाबजूद यहां अब तक नाव उपलब्ध नहीं कराया गया है।
पानी में खेल रहे बच्चे।
टीकारामपुर, शंकरपुर, तौफिर की स्थिति भी है खराब इधर गंगा के किनारे स्थित सदर प्रखंड के टीकारामपुर, महुली, शंकरपुर, मय, तौफिर, कटरिया, सीताकुंड डीह आदि की स्थिति भी भयावह हो चुकी है। लोगों को आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए भी बाढ़ के पानी से होकर आना-जाना पड़ता है। वहीं फसल एवं चारा के डूब जाने के कारण पशुपालकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण पशुपालक अपने पशुओं को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर निकल पड़े हैं।
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