घर में तंगहाली थी, सामाजिक परिवेश भी साधारण था। ऐसे माहौल में आम आदमी अक्सर चूक ही जाता है। लेकिन राजमिस्त्री परिवार में जन्मी सुधा कुमारी के साथ ऐसा नहीं हुआ। मुश्किलों के बीच उन्होंने रास्ता निकाला और आज वे बिहार की शान बन चुकी हैं। उन्होंने एक बार फिर अपनी काबिलियत दिखाते हुए राष्ट्रीय पावर लिफ्टिंग में चार पदक जीत प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
21 साल की उम्र में शुरू किया खेलना
पटना सिटी स्थित गायघाट निवासी सुधा ने 2001 में 21 साल की उम्र में इस खेल को अपनाया और 2003 में पहला अंतरराष्ट्रीय पदक पदक जीता। 43 साल की उम्र में एक बच्चे की मां होने के बाद उन्होंने कर्नाटक में राष्ट्रीय सीनियर पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में दो रजत और दो कांस्य पदक अपने नाम कर यह साबित किया कि उम्र की पाबंदी उनके लिए मायने नहीं रखती। सुधा ने स्क्वाड व इंटर स्टेट में सिल्वर, बेंच प्रेस, सीनियर नेशनल में कांस्य पदक जीत यह उपलब्धि हासिल की।
काल सेंटर में नौकरी के साथ-साथ अभ्यास भी
सुधा के पिता गायघाट में राजमिस्त्री का काम करते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने पटन देवी कालोनी में पड़ोसी दिपाली नंदी के पास सुधा को भेजा, जिनसे उन्हें अंतरराष्ट्रीय अनुभव हासिल हुआ। 2003 में दिल्ली में उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनिशिप में कांस्य जीत अपने करियर का शानदार आगाज किया। हालांकि घर की स्थिति को देखते हुए सुधा 2005 में गुडग़ांव में जाकर काल सेंटर में काम करने लगी। साथ ही अभ्यास भी जारी रखा। उन्होंने 2008 में ताशकंद में सीनियर एशिया पावर लिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कोच की भूमिका में पति का मिला साथ
2010 में सुधा की बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में नौकरी लगी। इसके बाद घर की माली स्थिति भी ठीक हुई। 2012 में उनकी शादी विशाखापत्तनम में पोस्टल विभाग में कार्यरत अभिषेक घोष से हुई। अभिषेक स्वयं एक अंतरराष्ट्रीय पावरलिफ्टर हैं, जिन्होंने कोच बनकर सुधा को यह कहकर प्रोत्साहित किया कि तुम इसी खेल के लिए बनी हो। इतना ही नहीं, कोच की भूमिका में अभिषेक सुधा को टिप्स भी देते हैं।
अपना हुनर बच्चों में बांट रहीं
15 बार स्ट्रांगेस्ट वुमेन आफ इंडिया बन चुकी सुधा के पिता उम्र के आखिरी पड़ाव में राजमिस्त्री का पुश्तैनी काम छोड़ गायघाट में खेती करते हैं। सुधा अपने पिता गौरी शंकर मेहता को हरसंभव मदद करती है। उनका दस साल का बेटा दिव्यांश बैडमिंटन खेलता है। सुधा बताती हैं, मैं उसे पावरलिफ्टिंग में करियर बनाने के लिए दबाव नहीं डालूंगी। अपने करियर के बारे में उन्होंने बताया कि मेरा लक्ष्य पावरलिफ्टिंग में बिहार को मजबूत करना है। सचिवालय स्पोट्र्स क्लब में मैं बच्चों को प्रशिक्षण दे रही हूं। उम्मीद है कि यहां से जल्द ही मेरा स्थान कोई लेगा।
- 15 बार स्ट्रांगेस्ट वुमन आफ इंडिया का खिताब
- 2010 में बिहार सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार मिला
अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां
2003 नई दिल्ली जूनियर विश्व कप पावरलिफ्टिंग, 2008 ताशकंद सीनियर एशिया चैंपियनशिप, 2009 उदयपुर सीनियर एशिया में कांस्य पदक, 2009 पुणे कामनवेल्थ पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण, 2011 जापान सीनियर एशिया चैंपियनशिप में रजत, 2011 लंदन कामनवेल्थ और बेंच प्रेस में स्वर्ण। 25 से भी ज्यादा नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
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