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यूक्रेन से बिहार लौटे छात्रों की कहानी, ब’म के धमा’के सुनकर स्वदेश लौटने की उम्मीद खत्म हो गई थी

यूक्रेन में फंसे वैशाली के 10 छात्र सकुशल घर पहुंच गए हैं। छात्रों को अपने-अपने घर पहुंचते ही परिजनों कि आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। यूक्रेन से लौटने वाले पातेपुर प्रखंड के तीन, बिदुपुर प्रखंड के दो, हाजीपुर प्रखंड के दो और राजापाकर, गोरौल एवं राघोपुर प्रखंड के एक-एक छात्र शामिल हैं। ये सभी छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे।

कॉलेज के छात्रों में दहशत का माहौल

पातेपुर की नीरपुर पंचायत के रसलपुर गांव निवासी शिक्षक के पुत्र प्रिंस कुमार यूक्रेन से सकुशल अपने घर पहुंचे तो परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। अपने पुत्र को सकुशल देखते ही माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू टपक गए। मेडिकल के चौथे वर्ष के छात्र प्रिंस कुमार ने बताया, ‘रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद कॉलेज के छात्रों में दहशत का माहौल था। बम के धमाके सुनने के बाद उम्मीद ही टूट गई थी कि हम लोग कभी इंडिया लौट भी सकेंगे। वहां हर तरफ अफरातफरी की स्थिति थी।’

हमारा तिरंगा बना हमारा ढाल

उन्होंने बताया, ‘युद्ध शुरू होने के एक दिन बाद छात्रों का जत्था बस से ओडेसा से निकल गए थे। हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा हम लोगों की ढाल बन गया। बस पर तिरंगा लगने के बाद रूस के सैनिकों ने कहीं भी बस को नहीं रोका। यूक्रेनी सैनिकों ने भी मदद की।’

प्रिंस ने बताया, ‘जिस बस से छात्र रोमानिया के लिए निकले थे वह बस रोमानिया बॉर्डर से लगभग 10 किलोमीटर पीछे ही सभी को छोड़ दिया। उसके बाद कड़ाके की ठंड और बर्फबारी के बीच वे सभी 10 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रोमानिया एयरपोर्ट पहुंचे थे। वहां जहां से हवाई मार्ग से मुंबई और मुंबई से पटना हवाई अड्डे पर पहुंचे।’ प्रिंस के पिता अरविंद कुमार राय तथा माता कुमारी नीलम ने भावुक होते हुए कहा कि अपने जिगर के टुकड़े को पटना हवाई अड्डे पर देखते ही आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े थे।

तिरंगे के साथ छात्र।

तिरंगे के साथ छात्र।

यूक्रेन से सोनपुर लौटा मेडिकल छात्र अभिनव

यूक्रेन से सोनपुर के दो छात्र वापस आ चुके हैं, जबकि एक अन्य छात्र पोलैंड में है और सकुशल होने की बात परिजनों को बताया है। दूसरी ओर चौथे सेमेस्टर के छात्र सोनपुर के कपुरचक निवासी पंकज सिंह के पुत्र अभिनव रंजन बुधवार की सुबह अपने घर लौट आए।

अभिनव ने बताया कि रूस के हमले के बाद अफरातफरी का माहौल था। सुपर मार्केट हो या एटीएम हर जगह लोग अधिक से अधिक समान जुटाने और पैसे के लिए दौड़ कर रहे थे। इस दौरान यूनिवर्सिटी ने 27 से पहले बस उपलब्ध कराने से मना कर दिया, लेकिन छात्र इस विकट हो रही स्थिति को भांपते हुए त्वरित कदम उठाने को मजबूर हुए और बस ठीक कर रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे। सबसे परेशानी बॉर्डर पार करने में ही हुई। शनिवार की शाम पांच बजे बॉर्डर पर वे थे, लेकिन वहां स्थिति इतनी खराब और भीड़भाड़ वाली थी कि धक्का-मुक्की और पूरी रात काफी ठंड के बीच 12 घंटे के संघर्ष के बाद बॉर्डर पार किया।

अपने परिजनों के साथ अभिषेक कुमार सिंह।

अपने परिजनों के साथ अभिषेक कुमार सिंह।

तिरंगा झंडा लेकर निकले और बार्डर पार किया

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हाजीपुर सदर प्रखंड क्षेत्र निवासी रंधीर सिंह का पुत्र अभिषेक कुमार घर लौट चुका है। यूक्रेन के ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS की पढ़ाई कर रहा था। वह 5th ईयर का छात्र है। एक साल पढ़ाई बची है।

उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफलाइन पढ़ाई करने की बात कह रही थी। कॉलेज छोड़कर जाने का भी आदेश नहीं था। भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि आप लोग चले जाए। वहां से भारत का तिरंगा झंडा लेकर निकले और बार्डर पार किया। मालदीव बार्डर पर भीड़ अधिक होने से परेशानी हुई। मैं यूक्रेन में था तो मां, पिता जी काफी परेशान थे। मेरे घर पहुंचने पर सभी परिवार के लोग खुश हैं।

उन्होंने बताया कि मैं फ्लैट में रहता था। बाहर जाने में काफी डर लग रहा था। मेरे मित्र बता रहे हैं कि वहां काफी बमबारी हो रही है। घर पर मां परेशान थी। रो रही थीं। मुझे घर आ जाने से परिवार के लोगो में काफी खुशी है। बाकी छात्र वहां है वह भी आ रहे हैं।

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