सिस्टम के कचरे की इसी सड़ांध के कारण मुजफ्फरपुर दुनिया का 20वां सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया है। क्योंकि, स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर से महज 8 किलाेमीटर दूर मड़वन प्रखंड के राैतनिया में कचरे का पहाड़ बन गया है। इसका प्रमुख कारण छह माह से यहां डंप हो रहे कचरा निष्पादन नहीं होना है। क्योंकि, टेंडर की फाइल अप्रूवल के लिए दिल्ली में अटकी है। अब यही कचरा शहर को भी प्रदूषित कर रहा है। क्योंकि, रौतनिया में कचरे का पहाड़ देख शहर के कचरे को शहर में ही हाईवे किनारे व आसपास फेंका जा रहा है।
कचरे के सड़ांध की दुर्गंध से सिर्फ रौतनिया के लोग ही परेशान नहीं हैं। बल्कि, आसपास के 4-5 किमी में पड़ते गांवों में भी लोगों को संक्रमण फैलने का खतरा डरा रहा है। पूरे इलाके में दुर्गंध, मक्खी व मच्छर से लाेगाें का जीना दुश्वार हाे गया है। तीन साल पहले लाेगाें ने इसी तरह की समस्या के बाद भारी बवाल किया था। जिसके बाद वहां कचरा डंपिंग रोक दी गई थी। वैसा ही आक्रोश इस बार फिर पनप रहा है। लोगों की शिकायत है कि प्रशासन उनकी समस्या को बहुत हल्के में ले रहा है।
टेंडर नहीं हाेने की वजह से वहां नारकीय स्थिति बन गई है। लेकिन, छह माह में न तो निगम प्रशासन जागा और न ही जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग। हालांकि, निगम प्रशासन टेंडर में देरी का कारण नगर निगम चुनाव को लेकर लगी आदर्श चुनाव आचार संहिता को ठहरा रहा है। निगम की नई सरकार के गठन के बाद 30 जनवरी को बोर्ड की पहली बैठक में इस एजेंडे को रखा गया। बोर्ड ने टेंडर की सहमति भी दे दी। लेकिन, अब तक टेंडर नहीं निकल सका है।
बड़ी समस्या : यहां हर दिन डंप होता है 100 टन से अधिक कचरा
यहां हर दिन शहर का 100 टन से अधिक कचरा डंप किया जाता है। लेकिन, छह माह से कचरा निष्पादन बंद है। यानी छह माह में यहां 18000 टन से अधिक कचरा डंप हो गया है। पहले मुंबई की एजेंसी ने कचरा निष्पादन शुरू किया था। लेकिन, अबयह काम बंद है।

इस नारकीय स्थिति के लिए ये भी जिम्मेदार….
नगर निगम प्रशासन
जवाबदेह होते हुए भी रौतनिया में रोजाना डंप हो रहे शहर के कचरे की प्रोसेसिंग के लिए टेंडर को प्राथमिकता में नहीं रखा। कचरा निष्पादन करने वाली एजेंसी के साथ भुगतान के विवाद को सुलझा कर नया टेंडर कराना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया। यही नहीं, इस मामले में अब भी तेजी नहीं दिखा रहा है।
जिला प्रशासन
जिला प्रशासन ने भी शहर से सटे इलाके की इस बड़ी समस्या के समाधान की गंभीरता से पहल नहीं की। जिला प्रशासन को निर्वाचन आयोग से विशेष अनुमति लेकर कचरा निष्पादन के लिए टेंडर कराना चाहिए था। ऐसा करने से जहां कचरा प्रोसेसिंग शुरू हो जाती। वहीं, कचरे की दुर्गंध से संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
छह माह में रौतनिया में कचरा डंप होते-होते पहाड़ बन गया। इससे फैल रहे प्रदूषण व दुर्गंध के कारण रौतनिया से लेकर आसपास के 4-5 किमी एरिया में लोगों का जीना मुहाल है। इसके बावजूद कचरा निष्पादन को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नगर निगम को एक नोटिस तक नहीं भेज सका।

बंद पड़ी कचरा प्रोसेसिंग मशीन।
राैतनिया में कचरा निष्पादन के लिए टेंडर होना है। टेंडर का पेपर तैयार कर केंद्र सरकार को सुझाव के लिए भेजा गया है। अनुमति मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू हाे जाएगी। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि राैतनिया में कचरे का ढेर न लगे। रेगुलर व साथ-साथ में कचरा का निष्पादन किया जाए। इस तरह से वहां किसी तरह की समस्या नहीं रहेगी। -नवीन कुमार, नगर आयुक्त
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