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32 साल का हुआ बक्सर:11 साल की लड़ाई के बाद बना था जिला, कभी हुमायूं ने गंगा में कूदकर बचाई थी जान

बक्सर जिला आज यानी शुक्रवार को 32 साल का हो गया। जिले के स्थापना दिवस पर प्रशासन की ओर से सुबह 06:30 बजे से लेकर देर शाम 09:00 बजे तक तीन चरणों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। बिहार के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध भोजपुर जिले के बक्सर अनुमंडल को काफी संघर्ष के बाद 17 मार्च 1991 को जिले का दर्जा मिला था।

बक्सर की अपनी ऐतिहासिक पहचान भी है। मुगल सम्राट हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच 26 जून 1539 को बक्सर के चौसा के मैदान में युद्ध हुआ था। इस लड़ाई में हूमायूं को जान बचाकर भागना पड़ा था।

11 साल के लंबे आंदोलन के बाद जिला बना था बक्सर

11 वर्षों के लंबे आंदोलन के बाद बक्सर वासियों ने अनुमंडल से जिला बनाने में सफलता पाई थी। इस आंदोलन में सैकड़ों लोग शामिल थे. जिसमें बुद्धिजीवी, समाजसेवी, व्यवसायी, श्रमिक, किसान थे। जिला गठन की लड़ाई लड़ने वाले करीब 18 प्रमुख लोग का निधन हो चुका है। लेकिन उनकी यादें आज भी जीवंत है।

जनवरी 1980 से जिला बनाने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन शुरू किया गया। 1980 से लेकर 1990 तक आंदोलन के दौरान पांच बार बक्सर बंद कराया गया, जो अभूतपूर्व था। आंदोलन का ही प्रभाव था कि सरकार ने बक्सर को जिला का दर्जा दिया।

बक्सर की ऐतिहासिक पहचान

बक्सर का इतिहास काफी दिलचस्प है। प्रथम युद्ध मुगल सम्राट हुमायूं और अफगान शासक शेरशाह सूरी के बीच 26 जून 1539 को बक्सर के चौसा मैदान में लड़ा गया। यहां हुमायूं को गंगा नदी में कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी थी। वहीं अक्टूबर 1764 में बक्सर नगर के पास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल सेनाओं के बीच युद्ध हुआ था।

बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला, बनारस के राजा बलवंत सिंह और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कंपनी से लड़ रही थी। लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई। इसके परिणाम में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया। इसका गवाह आज भी बक्सर का कथकौली मैदान है।

स्थापना दिवस पर क्या है कार्यक्रम

IPRD विभाग से मिली सूचना के अनुसार स्थापना दिवस को लेकर तीन चरणों मे कार्यक्रम निर्धारित किये गए हैं। प्रथम चरण सुबह 06.30 बजे से सुबह 10.00 बजे तक है। इस दौरान बक्सर चौक चौराहों पर स्थापित महापुरुषों के प्रतिमाओं के पास से साइकिल निकाली जाएगी। इसके साथ ही वृक्षारोपण किया जाएगा।

वहीं द्वितीय चरण में दोपहर 12.00 बजे 02:00 बजे तक समाहरणालय सभाकक्ष में समारोह का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान नियुक्ति पत्र वितरण और रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई है। इसके साथ ही रक्तदान शिविर भी लगाया जाएगा। तीसरे चरण में शाम 06.00 बजे से देर शाम 09.00 बजे रामरेखा घाट पर गंगा आरती और नगर भवन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

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