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इनकम टैक्स की रेड पर जदयू MLC से खास बातचीत:राधाचरण सेठ बोले- बालू से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं

JDU के MLC राधा चरण सेठ के यहां पटना से लेकर आरा और मनाली तक आईटी का रेड पड़ा। चार दिनों तक 18 जगहों पर रेड किया गया। आयकर विभाग की टीम ने हिमाचल प्रदेश के मनाली, उत्तराखंड के हरिद्वार, यूपी के नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, बिहार के पटना और आरा शहर में मौजूद अलग-अलग डेढ़ दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की।n

नोट गिनने की मशीन मंगानी पड़ी। राधा चरण सेठ लंबे समय तक लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी में रहे लेकिन तीन वर्षों पूर्व वे जेडीयू में आ गए। अभी वे भोजपुर- बक्सर से एमएलसी हैं। भास्कर ने उनके आरा स्थित आवास पर एक्सक्लूसिव बातचीत की।

राधाचरण सेठ आप बताएं कि आपके यहां इतनी बड़ी रेड का क्या मतलब है?

आईटी की रेड सरकार के नियमानुसार रूटीन काम है। किसी ने शिकायत की होगी कि मेरे यहां रेड होगा तो अकूत संपत्ति मिलेगी, खूब सारा सोना मिलेगा, रुपया मिलेगा। मेरे 18 सेंटर पर चार दिनों तक रेड चलता रहा। लेकिन मैंने दावा किया है कि मेरे पास कोई भी बेनामी संपत्ति नहीं है, न मिलेगा। एक मोटरसाइकिल तक रिटर्न में दिखाए हैं जो खरीदे हैं। दो वर्ष पूर्व भी इनकम टैक्स ने 10 वर्षों का विवरण मांगा था। हमने दिया। शपथ पथ और आयकर का मिलान हुआ। दोनों सौ फीसदी सही साबित हुआ।

लोग पूछते हैं कि आप तो राजनीति में हैं। फिर इतना रुपया कहां से आपने अर्जित किया?

आज तक राजनीति में एक खिल्ली पान नहीं खाए। मेरा पूरी परिवार शाकाहारी है। लहसुन प्याज तक नहीं बनता है। बिजनेस 50 साल से हम कर रहे हैं।

आप तो आरजेडी में रहे और जेडीयू में भी। लालू प्रसाद और नीतीश दोनों के साथ अलग-अलग समय में रहे?

जहां विचार मिलता है वहां राजनीति करते हैं। आरजेडी के साथ 30 साल रहे। तीन साल से जेडीयू ज्वाइन किए हैं। हमारे नेता नीतीश कुमार हैं। बहुत सारे मीडिया के बंधु पूछते हैं कि नीतीश कुमार से बात हुई क्या? हम उनको कहते हैं कि नीतीश कुमार न तो किसी को फंसाते हैं और न बचाते हैं। जो भी कागजात मांगा गया मैंने बताया आईटी को।

किस-किस तरह के कारोबार आपके पास है?

1971 से होटल का ही कारोबार हम कर रहे हैं। मेरे पिता जी की जलेबी की दुकान करते थे। उसी दुकान को हमने 71 से चलाना शुरू किया। उसके बाद होटल धीरे-धीरे शुरू किया। हम 56 लोगों का परिवार एक साथ रहते हैं। दुकान, राइस मिल, कोल्ड स्टोर आदि हैं। मेहनत और ईमानदारी के बल पर हम यहां तक पहुंचे हैं। स्टेट बैंक, ग्रामीण बैंक, पीएनबी बैंक से हमने लोन लिया है। हमको नहीं समझ आ रहा कि हमने कहां गड़बड़ी की है।

लोग पूछते हैं कि जलेबी बेचने वाले राधाचरण सेठ इतने धनवान कैसे हो गए? इतना रुपए कैसे अर्जित कर लिया ?

1971 में जब हम जलेबी बेच रहे थे तब पीएम नरेन्द्र मोदी ट्रेन में चाय बेच रहे थे। चाय बेच कर कोई पीएम बन सकता है तो हम जलेबी बेचकर एमएलसी क्यों नहीं बन सकते ! चाय की दुकान से ज्यादा स्टैंडर्ड जलेबी दुकान होती है। हम कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे। मेरी सीए और हमने लिख कर दिया है कि कुछ छूट भी गया होगा तो हम देंगे।

आप पॉलिटिक्स में हैं इसलिए कार्रवाई हो रही है क्या?

हमसे सौ गुणा ज्यादा खरीदने-बेचने वाले लोग भाजपा में हैं। लेकिन उनके यहां कहां छापा पड़ता है। हम भी भाजपा में होते तो छापा नहीं पड़ता। हम हर कागज देने को तैयार हैं।

इससे आपको क्या नुकसान हुआ?

एक जलेबी बेचने वाले के यहां छापा पड़ा तो पूरे देश के लोग जाने। जितना पैसा देकर हम प्रचार करवाते उससे ज्यादा प्रचार इसी तरह से हो गया। तो हम नहीं मानते हैं कि आईटी रेड से नुकसान हुआ हमको।

सरकार की नजर में आपका कारोबार कितने रुपए का है?

सरकार की नजर में जितना कारोबार है एक-एक का रिटर्न दाखिल करते हैं। न बेनामी संपत्ति है और न काली संपत्ति है। इसे साबित कर भी नहीं पाएंगे क्योंकि हम जीएसटी और इनकम टैक्स दिए हुए हैं। 2005 में भी छापा पड़ा था सरकार से लड़कर पैसा वापस लिए।

इसकी चर्चा खूब है कि आपका बड़ा कारोबार बालू का है?

हमारे सैकड़ों लोग बालू के कारोबार में हमारे नाम पर हैं जो कहते हैं कि उन्हीं का काम है लेकिन हमारा बालू से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं है। हमारे लोगों का है। चुनाव से लेकर हमें मदद करते हैं। पैसै लगाकर सरकार से ठेका लेकर करते हैं काम।

इसमें कुछ अवैध नहीं है?

एक परसेंट अवैध नहीं है। जब 100-200 करोड़ का सरकार से ठेका लेकर काम करते हैं और टैक्स देते हैं तो फिर गड़बड़ी कहां है?

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