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पशुपति बोले- नीतीश को दिल्ली भेज…मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तेजस्वी:कहा- मैं राजनीति छोड़ दूंगा पर राजद के साथ अब नहीं जाऊंगा

राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने दिए खास इंटरव्यू में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर अपने भतीजे और जमुई सांसद चिराग पासवान से जुड़े सवालों का बेबाक जवाब दिया। सीधे तौर पर कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर इफ्तार पार्टी हुई थी और मुख्यमंत्री आवास से निकलकर नीतीश कुमार वहां गए भी। तभी यह बात स्पष्ट हो गई कि बिहार में कुछ खेल होने वाला है।

उन्होंने कहा कि नीतीश को दिल्ली भेज तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। पशुपति कुमार ने ये कहा कि वो राजनीति छोड़ देंगे पर राजद के साथ अब नहीं जाएंगे।

पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए चलाई जा रही मुहिम पर ही सवाल खड़ा कर दिया और पूछ दिया कि विपक्ष के किस नेता ने कहा कि इस पद के लिए वो योग्य हैं?

सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने अपने भतीजे चिराग पासवान तक को नहीं बख्शा। सीधे कहा कि उनकी हालत रोड पर उस जानवर और व्यक्ति की तरह हो गई है, जो दिग्भ्रमित होने की वजह से उसे किस दिशा में जाना है, इसका फैसला नहीं ले पाता है। इस कारण उसका एक्सीडेंट हो जाता है।

सवाल : वर्तमान में जो राजनीति चल रही है बिहार में और नीतीश कुमार पहले साथ में गठबंधन में थे और फिर छोड़कर चले गए, इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब : देखिए, 17 वर्षों का साथ था जदयू और भाजपा का। बीच में नीतीश कुमार NDA गठबंधन को छोड़कर राजद के साथ चले गए थे। कुछ दिनों तक उनके साथ सरकार चलाई। पर खट्‌टा-मिट्‌ठा का टेस्ट उन्हें पता चल गया और वो राजद छोड़कर, पुन: प्राश्चित करते हुए भाजपा के साथ आए। और यह कहा कि भविष्य में मैं कभी राजद के साथ नहीं जाउंगा। मैं राजनीति छोड़ दूंगा पर राजद के साथ अब नहीं जाऊंगा।

अब 2020 में विधानसभा का चुनाव आया। भाजपा ने अपना धर्म निभाते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। जबकि, इनकी सीटें कम थी। अब इस बीच में इफ्तार पार्टी हुआ। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री वाले कोठी से निकलकर राबड़ी देवी के आवास पर चले गए थे। इससे ही पूरे बिहार को मैसेज चला गया था कि कुछ होने वाला है और वही हुआ। खुद के वचन को तोड़ते हुए ये दोबारा राजद के साथ गए और सरकार बना लिए।

NDA की सरकार टूटने से बिहार को सबसे ज्यादा घाटा हुआ है। राज्य में गठबंधन की सरकार होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष नजर बिहार पर होती थी। रोड, बिजली, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की सुविधा भारत सरकार की तरफ से दी गई। कोरोना काल में दो साल गरीबों को भोजन के लिए मुफ्त अनाज दिया। उनका मुफ्त इलाज कराया। किसानों को ऋण मुहैया कराया गया। अब बिहार का विकास रूक गया है।

सवाल : अभी जो मुहिम चल रही है नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने की, इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब : कौन मुहिम चला रहे हैं? हम लोगों को तो नहीं दिख रहा है कि कहीं मुहिम चल रहा है। अरे बिहार के लोग ही न मुहिम चला रहे हैं। लालू जी और नीतीश जी। और तीसरा किसी का नाम बताइए? देश के किसी बड़े नेता का नाम बताइए कि जिसने कहा हो कि नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री के लिए योग्य उम्मीदवार हैं? CPM, माले, कांग्रेस, बीजू जनता दल हो, ममता बनर्जी या अरविंद केजरीवाल हो या शरद पवार जी हों, किसी के मुंह से सुने हैं कि नीतीश जी प्रधानमंत्री के अच्छे दावेदार हैं? सिर्फ बिहार के लोग कह रहे हैं और बिहार में नीतीश और लालू की मिली जुली सरकार है।

तेजस्वी यादव तो चाहते ही हैं कि नीतीश कुमार चले जाएं दिल्ली और हम बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ ताकतवर हैं बल्कि उनकी लोकप्रियता भी काफी अधिक है। उन्हें हरा पाना आसान नहीं है। लोकसभा में 543 सीट है, इसमें जिसके पास ज्यादातर सीट होगी वही न प्रधानमंत्री बनेगा कि बिहार के 40 सीट जितने से ही कोई प्रधानमंत्री बन जाएगा। इसमें भी नीतीश कुमार का 7 पार्टियों के साथ गठबंधन है। इसमें कितना सीट मिलेगा उन्हें और कितना सीट वो जितेंगे। हमारे हिसाब से इसमें कहीं कोई दम नहीं है।

सवाल : बिहार में महागठबंधन की जो सरकार बनी, आपको क्या लगता है कि ये लंबा चल पाएगी?

जवाब : नहीं, ये सरकार नहीं चलेगी। चुकी इस सरकार का जिस दिन गठन हुआ, उसी दिन विनाश भी शुरू हो गया। कार्तिकेय सिंह बिहार सरकार का लॉ मिनिस्टर बने थे। एक तरफ वो मंत्री पद के लिए शपथ लेते हैं और दूसरी तरफ कोर्ट से वारंट निकलने की बात सामने आते है। फिर 2-4 दिन बात उनको इस्तीफा देना पड़ता है। इनके 60 प्रतिशत मंत्री दागी है। यह अशुभ नहीं हुआ तो क्या शुभ हुआ? न्याय दिलाने वाले विभाग का जो व्यक्ति मंत्री हो और उसके खिलाफ ही वारंट निकला हो तो डेमोक्रेसी में इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ और हो ही नहीं सकता है।

सवाल : क्या भतीजे चिराग पासवान की घर वापसी होगी?

जवाब : देखिए, रोड पर वही जानवर मरता है जो डिसीजन नहीं ले पाता है कि हम पूरब जाएं या पश्चिम? रोड पर कभी-कभी मनुष्य भी दिग्भ्रमित हो जाता है और फिर गाड़ी से उसका एक्सीडेंट हो जाता है। यही हालत चिराग पासवान का है। वो अभी तक डिसीजन नहीं ले पा रहे हैं कि वो UPA या NDA गठबंधन के पार्ट हैं। UPA गठबंधन में नीतीश कुमार हैं और उनके खिलाफ वो लगातार बोल रहे हैं कि ये सरकार नहीं चलेगी। बात NDA की है तो विधानसभा चुनाव के दरम्यान कह रहे थे कि हम हनुमान हैं।

दूसरी तरफ बिहार में 6-6 जगह भाजपा के खिलाफ ही उम्मीदवार दे दिए। इसमें तेजस्वी यादव का राघोपुर और तेजप्रताप का हसनपुर सीट भी शामिल है। हर दिन बात सामने आती है कि कभी वो केंद्र में मंत्री बन रहे हैं तो कभी बात सामने आती है कि चाचा को गठबंधन से हटवाकर मंत्री बन रहे हैं। कभी कुछ-कभी कुछ बात सामने आती रहती है। क्या कभी भाजपा के किसी बड़े नेता ने कहा कि चिराग पासवान NDA का पार्ट है या वो केंद्र में मंत्री बन रहे हैं? किसी ने कहा? ये हमें बताई।

इन बातों को कह कौन रहा है, चिराग पासवान के पार्टी के लोग कह रहे हैं। जिसका कोई वैल्यू नहीं है। NDA में शामिल किसी घटक दल के नेता ने भी आज तक यह बात नहीं कही। NDA की मीटिंग में मैं जाता हूं। फिर चिराग पासवान NDA के पार्ट कैसे हो गए? ये गलतफहमी है। वो दूर-दूर तक इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है।

सवाल : एक बात बीच में सामने आई थी कि भाजपा के नेता उन्हें NDA में लाना चाह रहे हैं, इस पर चिराग की तरफ से चाचा (आप) और आपकी पार्टी को हटाने की शर्त रखी गई थी?

जवाब : काहे हटाया जाएगा? क्यों हटाया जाएगा? हम पर क्या आरोप है? हम चोर हैं? बेइमान और डकैत हैं? क्या हैं हम? हमारे पास में बहुमत है। पहले एक बात आप जान लीजिए। मेरे पास एक गोपनीय कॉपी है। लोकसभा अध्यक्ष और उनके सचिवालय के द्वारा वहां से रूलिंग पास हुआ कि लोकजनशक्ति पार्टी के संसदीय दल का नेता चिराग पासवान नहीं है।

पशुपति कुमार पारस को मान्यता दिया जाता है और इनके दल में 6 सांसद शामिल है। ये लोकसभा का रूलिंग है। तो टेक्निकली चिराग पासवान अभी भी हमारे दल के सांसद हैं। ये मैं आपको बता दूं। वो बाद में चुनाव आयोग गए कि मुझे कुशेश्वर स्थान और तारापुर में चुनाव लड़ना है। तो टाइम प्रोररी व्यवस्था के तहत चुनाव आयोग ने अपना आदेश दिया था। भारत का जो संविधान है और दल-बदल कानून है, उसके तहत चिराग पासवान आज भी हमारे दल के सांसद हैं। ये आप जान लीजिए।

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