बगहा के एक प्रखंड के सलाह बारियरवा पंचायत स्थित झारमहूई गांव जहां पर बरसात के 4 महीने आने जाने के लिए लोगों को कीचड़ में हो जाना पड़ता है। नेशनल हाईवे या किसी भी सड़क से इस गांव में आने के लिए पानी के साथ साथ कीचड़ को पार कर पहुंचना पड़ता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव में आजादी के बाद से कोई भी मुख्य मार्ग नहीं बन सका है। जिसके कारण सभी मुख्य कच्चे हैं। कच्चा होने के कारण जैसे ही बरसात शुरु होती है बारिश का पानी सड़कों पर लगने लगता है। जून से लेकर सितंबर तक यहां के लोगों को इस कठिनाई से गुजरना पड़ता है। ग्रामीण सफीउरह्मान, खालिक कुरैशी, नसीम अख्तर, नौशाद अख्तर, दिलीप पांडेय, ताराचंद्र पासवान, रामाकांत पासवान, लक्ष्मण उरांव, लड्डू उरांव आदि दर्जनों लोगों ने बताया कि हमारे गांव के लोग श्रापित भरी जिंदगी जीने को मजबूर है । एक तरफ से मसान नदी परेशान कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इन परेशानियों से अब यहां से उबान हो गई है।
आजादी के बाद एक ही परिवार के रहे मुखिया
2021 के पंचायत चुनाव तक एक ही परिवार के तीन लोग लगातार मुखिया रहे। इसके बावजूद इस पंचायत का सर्वांगीण विकास नहीं हो सका। लोगों ने बताया कि पहले मारकंडेय सिंह यहां के मुखिया हुआ करते थे। उसके बाद अमरेश्वर सिंह उर्फ अमर बाबू मुखिया रहे। कुछ दिनों तक आरक्षण के कारण मारकंडेय सिंह की बहू गायत्री देवी मुखिया रही इस तरह एक ही परिवार के लोगों के पास इस पंचायत का बागडोर रहा। उसके बाद भी विकास नहीं हुआ। 2021 में लोगों ने पंचायती चुनाव में पुराने परंपरा को नकारते हुए नए प्रत्याशी अमित कुमार वर्मा को चुनाव में विजई बनाया। नए मुखिया बनने के साथ ही ग्रामीणों ने सड़क बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी। ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान मुखिया आश्वासन के सिवाय इस गांव को कुछ भी नहीं दे पाए हैं। इस मामले में मुखिया अमित कुमार वर्मा ने बताया कि पंचायत में जो पैसा था वह अन्य जगह पर खर्च हुआ है। फिलहाल पंचायत में पैसा नहीं है पैसा आने के बाद ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू होगा।




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