सीतामढ़ी जिले के 45 पंचायतों के बेकार पड़े नलकूपों को ठीक करने का जिम्मा सरकार ने उसे पंचायतों के हवाले कर दिया। ताकि खेतों सही समय पर ठीक से सिंचाई हो सके। लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं मिल रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में नलकूपों के जीर्णोद्धार के लिए जिले में 45 पंचायतों को दो करोड़ 22 लाख 70 हजार रुपये दिए गए। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, 28 नलकूपों की मरम्मत का लेखा-जोखा मिला है, लेकिन 17 नलकूपों की जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है।
विभाग का कहना है कि पुराने मुखिया के कार्यकाल में पंचायतों को नलकूपों की मरम्मती का जिम्मा सौंपा गया था। जहां-जहां के मुखिया चुनाव हार गए उन पंचायतों से कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में विभाग को सरकारी राशि के गबन की आशंका है। खाताधारक टाल-मटोल वाला रवैया अपनाए हुए हैं। इन 17 पंचायतों में नलकूपों की मरम्मत व रख-रखाव के लिए 71,59,500 रुपये दिए गए थे। 28 नलकूप जिनपर नियामाकुल काम हुआ है, उनके लिए दूसरी किस्त की डिमांड विभाग को भेजी जा चुकी है। फिलहाल 19 नलकूपों के लिए दूसरी किस्त के रूप में 89 लाख 55 हजार रुपये दिए गए हैं। वहीं नौ नलकूपों को दूसरी किस्त के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।
रून्नीसैदपुर की मोरसंड व बघारी पंचायत, बथनाहा की योगबाना व भगवानपुर, बोखड़ा की भाउरगढ़ व नयाटोल खरका बसंत उत्तरी, बाजपट्टी की बनगांव बाजार व रतनपुरा, मेजरगंज की हरपुरकला, रीगा की सिरैली व पकड़ी मटवा, परिहार की मानिकपुर मुशहरनिया, सुप्पी की धरवारा, नरहा मोहनी मंडल व हरपुर पिपरा एवं डुमरा प्रखंड अंतर्गत रामपुर परोरी पंचायत में दी गई राशि की जांच होगी। इस संबंध में कार्यपालक अभियंता, लघु सिचाई एवं जल संसाधन विभाग गजेंद्र यादव ने कहा कि जिन पंचायतों में काम नहीं हुआ है, उसकी जानकारी मिल चुकी है। उनके खाते की जांच की जा रही है। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि राशि का गबन हुआ है या वे खाते में ही पड़ी हुई हैं।
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