ओडिशा के नुआपड़ा जिले में मंगलवार को नक्सलियों से लोहा लेते हुए सीआरपीएफ जवान धर्मेंद्र कुमार शहीद हो गए थे। गुरुवार की सुबह उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव रोहतास स्थित सरैया लाया गया। रोती-बिलखती पत्नी ने बताया कि ‘मंगलवार की सुबह फोन पर उनसे बात हो रही थी। वो बोले-अभी ड्यूटी पर जा रहा हूं शाम को फोन करता हूं। पर शाम को उनके शहीद होने की सूचना मिली।’

ओडिशा के नुआपड़ा जिले में मंगलवार को नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सीआरपीएफ जवान धर्मेंद्र कुमार के शव को बुधवार देर रात उनके पैतृक गांव सरैया लाया गया।
दरअसल, ओडिशा के नुआपड़ा जिले में गत मंगलवार को एक टीम पर नक्सलियों ने हमला बोल दिया था, इस हमले में धर्मेंद्र कुमार समेत सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए थे। इधर, सैकड़ों बाइक सवार शहीद के पार्थिव शरीर को ला रही गाड़ी के साथ-साथ सरैयां गांव पहुंचे। सीआरपीएफ जवान के पार्थिव शरीर के गांव पहुंचते ही उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने तिरंगा लहरा कर उन्हें सम्मान के साथ सलामी दी। साथ ही शहीद धर्मेंद्र अमर रहे के नारे लगाए गए। मौके पर पहुंचे शहाबाद डीआईजी, एसपी आशीष भारती भी पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी।

पति ने हालचाल पूछा तो धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि वो नाश्ता कर ड्यूटी पर जा रहे हैं, चार बजे लौट कर फिर बात करेंगे।
बेटी के रोने से भावुक हुए लोग
वहीं, शहीद जवान की पत्नी, बच्चों के रोने से शव के साथ आए सीआरपीएफ जवान भी भावुक हो गए। शहीद जवान अपने पीछे पत्नी आशा देवी, 12 साल का पुत्र रौशन 10 साल की बेटी खुशी को छोड़ गए। उनके पिता रामायण सिंह किसान हैं और माता सामान्य गृहणी हैं। अपने बुढ़ापे का सहारा छिन जाने का उन्हें काफी दुख है लेकिन अपने पुत्र के सर्वोच्च बलिदान पर उन्हें गर्व भी है।
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