राज्य के 259 निकायों में बरसात से पहले खुले मैनहोल को ढंकने की योजना है। इसके लिए करीब सात हजार मैनहोल के ढक्कन का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से एक हजार ढक्कन पटना के लिए हैं। हालांकि बिहार के 259 निकायों में लगभग 19 हजार और पटना में लगभग 6 हजार मैनहोल एक वर्ष से बगैर ढक्कन के हैं। ऐसे में यदि बारिश में जलजमाव की स्थिति होती है, तो अनहोनी की आशंका बनी रहेगी। पटना में 77490 मैनहोल और कैचपीट हैं, जिनमें 46 हजार की स्थिति काफी अच्छी है। करीब 22 हजार मैनहोल जर्जर हो चुके हैं।
मैनहोल को कवर करने के लिए तीन चरणों में काम किया जाएगा। प्रथम चरण में सात हजार मैनहोल को कवर करने की योजना है। इसके तहत लगभग 90 लाख की लागत से बिहार के अधिकांश निकायों में मैनहोल का निर्माण हो रहा है। पटना में सबसे पहले बोरिंग रोड, डाकबंगला, हार्डिंग रोड, पटना जंक्शन, बेली रोड, आर ब्लॉक, गांधी मैदान, अनीसाबाद सहित ऐसी सड़कों पर खुले मैनहोल काे ढका जाएगा, जहां आवाजाही अधिक है। इसके बाद यदि कवर बचता है, तो पाटलिपुत्रा, कुर्जी, पुनाईचक सहित दूसरे रोड को कवर करने की योजना है।
इसके बाद भी यदि बचता है, तो लिंक रोड पर खुले मैनहोल को कवर किया जाएगा। यदि स्थिति मुजफ्फपुर, भागलपुर, गया, कटिहार, पूर्णिया जैसे शहरों में है। हालांकि, भागलपुर, मुजफ्फरपुर में सड़क की जगह कलेक्ट्रेट, स्कूल और कॉलेज के आसपास, मार्केट, बस स्टैंड के आसपास की जगहों पर खुले होल को ढकने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
जाली के साथ छड़ का इस्तेमाल, सीमेंट टूटने के बाद भी आवाजाही में नहीं होगी परेशानी
मैनहोल के निर्माण में क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि मैनहोल का ढक्कन खंडित होने के बाद भी लोगों को आवाजाही में परेशानी नहीं हो। पहले जाली और लोहे के एंगिल पर ढक्कन की सीमेंट से ढलाई की जाती थी। लेकिन, नए तरीके से बनने वाले होल में जाली के साथ ही छड़ और कंक्रीट का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे वाहनों की आवाजाही के बाद यदि मैनहोल और उसका ढक्कन क्षतिग्रस्त होता है, तो आवाजाही प्रभावित नहीं हो।
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