2019 में बिहार की राजधानी का नजरा पूरा देश देखा। बाढ़ नहीं थी लेकिन हालात बाढ़ से भी बदतर रहे। राजधानी का शायद ही ऐसा कोई इलाका रहा हो जहां सड़कों पर नाव न चली हो। निगम के अफसरों की मनमानी से बने ऐसे हालात फिर बन रहे हैं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस बार मानसून पहले आएगा और बिहार में अनुमान से अधिक बारिश होगी। तैयारी का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि 48 घंटे पहले जिम्मेदारों ने नालों को क्लीन होने का दावा किया लेकिन CM की क्रास चेकिंग में पोल खुल गई। अब मई तक नालों की सफाई का अल्टीमेटम है।
निगम के अफसरों का यह है दावा
पटना नगर निगम के अफसरों ने दावा किया कि मानसून पूर्व बड़े नालों की उड़ाही हो चुकी है। मेनहॉल एवं कैचपिट की सफाई के अंतिम चरण का दावा किया गया। दावा यह भी किया जा रहा है कि दिन और रात में सफाई की जा रही है। मानसून से निपटने के लिए पटना नगर निगम की तैयारी का दावा करने वाले निगम के अफसरों का कहना है कि पटना नगर निगम द्वारा सभी बड़े नालों की उड़ाई कर ली गई है। नगर आयुक्त के निर्देश पर नाला उड़ाही में लगे सभी पदाधिकारी ये शपथ पत्र देंगे कि उनके क्षेत्र का नाला साफ हो चुका है। दावा किया जा रहा है कि पूरे मानसून में क्षेत्र के नाला उनके ही जिम्मे होंगे। अफसर सफाई को लेकर पूरे दावे कर रहे हैं।
तैयारी का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि 48 घंटे पहले जिम्मेदारों ने नालों को क्लीन होने का दावा किया लेकिन CM की क्रास चेकिंग में पोल खुल गई।
अफसरों के दावों के बाद CM ने जानी हकीकत
नगर निगम के अफसरों के दावे के बाद ही क्रास चेकिंग में CM नीतीश कुमार पड़ताल में निकल गए। नीतीश कुमार ने कहा कि 2019 में जो हाल हुआ, वैसा हाल दाेबारा नहीं हो। वह इसी पड़ताल में संप हाउस से लेकर पूरी पड़ताल करने निकले थे। सीएम की क्रास चेकिंग में पता चला कि अभी सफाई पर और काम करने की जरुरत है। हालांकि सीएम ने पटना को जलजमाव से बचाने को लेकर की जा रही तैयारियों से पूरी तरह से संतुष्ठ नहीं दिखे। सफाई को लेकर उन्होंने जिम्मेदारों को निर्देश भी दिया है।
नालों की सफाई के दावे और सीएम की क्रास चेकिंग के बीच जब भास्कर ने पड़ताल की तो बड़ा खुलासा हुआ। नालों की सफाई तो की गई है, लेकिन यह महज उपरी सफाई है। नालों में कचरा भरा पड़ा है, लेकिन उसे साफ नहीं कराया गया। नाला पूरी तरह से भरा है, गहराई में साफ करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। अफसरों ने नालों की हकीकत भी देखने का प्रयास नहीं किया और दावे पर दावे किए गए। सबसे बड़ा राजीव नगर नाला है, यहां नालों की गहराई का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि थोड़ी सी बरसात में पानी ओवर फ्लो हो जाएगा। इसके पीछे बड़ा कारण है कि उपर से तो सफाई कर ली गई है लेकिन नीचे कचरा पटा है। इससे पानी नाला के बराबर ही है। अगर इस पर काम नहीं किया गया और मानसून ठीक ठाक रहा और बारिश 2019 की तरह हुई तो पटना में वहीं हाल होगा। क्योंकि 2019 में भी अफसरों की दावा की ऐसी ही सफाई से पटना में जल जमाव हुआ था।
नाला जो बनते हें पटना के लिए खतरा
- सैदपुर नाला (अजीमाबाद क्षेत्र) 3500 मीटर
- सैदपुर नाला (बांकीपुर क्षेत्र) 2400 मीटर
- आनंदपुरी नाला 3050 मीटर
- कुर्जी नाला/ राजीव नगर नाला 54 80 मीटर
- मंदिरी नाला 1250 मीटर
- मोहनपुर नाला मध्य 980 मीटर
- बोरिंग कैनाल रोड भूगर्भ नाला (मध्य नाला) 1040 मीटर
- नेहरू नगर भूगर्भ नाला 556 मीटर
- सरपेंटाइन आला 6039 मीटर
- बाकरगंज नाला 1454 मीटर
- बाईपास नाला (नूतन राजधानी क्षेत्र )2975 मीटर
- बाईपास नाला (कंकड़बाग क्षेत्र) 4300 मीटर
- योगीपुर नारा 4050 मीटर
- सिटी मोट नाला 1560 मीटर
Leave a Reply