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27 मई को आएगा मानसून, बिहार में भी समय से पहले आएगा, मई में प्रचंड गर्मी के बाद जून में होगी झमाझम बारिश

देश में 27 मई को मानसून की दस्तक हो जाएगी। इस बार मानसून रिकॉर्ड तोड़ने वाला होगा। केरल से 27 मई को इसका प्रवेश होगा जिसके बाद देश के अलग अलग राज्यों में असर दिखाई देने लगेगा। बिहार में 13 से 15 जून के बीच मानसून की एंट्री होगी। मौसम विभाग के मुताबिक 5 साल में पहली बार मानसून के आने का पूर्वानुमान 27 मई को है। अब तक 29 मई से पहले देश में मानसून नहीं आया है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून को लेकर स्थिति काफी अनुकूल बनी हुई है, जिससे प्रचंड बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है।

केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान

मौसम विभाग का कहना है कि भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून की एंट्री केरल में मानसून की शुरुआत से होती है। केरल में ही एक महत्वपूर्ण संकेत मिलता है, जिससे गरम और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम का परिवर्तन बताता है। जैसे – जैसे मानसून उत्तर की ओर बढ़ता है, क्षेत्रों में चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है। मौसम विभाग का कहना है कि दक्षिण पश्चिम मानसून 1 जून को केरल में आ जाता है, लेकिन इस बार 27 मई को ही मानसून आने का पूर्वानुमान है।

2005 से सटीक हो रही मौसम की गणित

भारत मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि 2005 से केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख का पूर्वानुमान बताया जा रहा है। इसमें 4 दिनों का मार्जिन रखा जाता है। इसके लिए अत्याधुनिक सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया जाता है, 6 तरह के मानकों के आधार पर पूर्वानुमान जारी किया जाता है। मौसम विभाग का कहना है कि पिछले 17 वर्षों ( 2005-2021 ) के दौरान केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख को लेकर आईएमडी का पूर्वानुमान पूरी तरह से सही साबित हुआ है, केवल 2015 में डेट का थोड़ा अंतर हुआ था। बाकी का पूर्वानुमान पूरी तरह से सही साबित हुआ है।

27 मई को लेकर पूर्वानुमान

मौसम विभाग के मुताबिक केरल में 2022 के दक्षिण पश्चिम मानसून के आने की तिथि सामान्य तिथि की तुलना में थोड़ा पहले होने की संभावना है। केरल में मानसून की शुरुआत 27 मई से होने का पूर्वानुमान है। मौसम विभाग के मुताबिक 2022 के दक्षिण पश्चिम मानसून की स्थिति और अंडमान सागर के ऊपर प्रगति भारतीय मानसून क्षेत्र में दक्षिण अंडमान सागर में शुरुआती मानसूनी बारिश का अनुभव होता है और मानसूनी हवाएं बंगाल की खाड़ी के उत्तर – पश्चिम की ओर आगे बढ़ती हैं । मानसून की शुरुआत और प्रगति की सामान्य तिथियों के अनुसार, दक्षिण पश्चिम मानसून 22 मई तक अंडमान सागर के ऊपर अग्रसर हो जाता है । 15 मई 2022 के आसपास बढ़ी हुई क्रॉस इक्वेटोरियल हवा की स्थिति दक्षिण अंडमान सागर, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल हो रही है।

जानिए मानसून का कैसे होता है निर्धारण मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार सिंह का कहना है कि हिंद महासामागर में सरफेस पर गर्मी के कारण प्रभाव पड़ा है। मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि हिंद महासागर में जब लानीना एक्टिव होता है तो मानसून प्रभावी होती है। लानीना का मतलब गर्मी से है, गर्मी के कारण ही मानसून का निर्धारण होता है, लेकिन हिंद महासागर में जब अलनीना एक्टिव होता है यानि ठंड होती है तो कम बारिश होती है। ऐसी ही स्थिति में सूखा पड़ता है।

हिंद महासागर में बनी है गर्मी
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार हिंद महासागर में लानीना एक्टिव है। मानसून तक इसके सक्रिए रहने का पूर्वानुमान है। इस कारण से इस बार पूरे देश में अच्छी बारिश होगी। सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार देश में सामान्य बारिश के निर्धारण का गणित भी बदला है। पूर्व में 1961 से 2010 के डेटा के आधार पर सामान्य बारिश का निर्णारण हो
था लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए 1997 से 2020 के बारिश के आड़कों के आधार पर सामान्य बारिश का निर्धारण होगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि नया सामान्य बारिश 868.6 एमएम यानि 87 सेमी है। पूर्व में यह 880.6 एमएम यानि 88 सेमी था। इस बार सामान्य बारिश 868.6 एमएम में 99% बारिश होने का पूर्वानुमान है। देश में 99% रेन फॉल काफी अच्छी स्थिति मानी जा रही है।

बिहार में 13 से 15 जून के बीच मानसून की एंट्री
मौसम विभाग के जानकारों का कहना है कि इस बार मानसून को लेकर जो स्थितियां बन रहीं हैं, इससे यह साफ है कि इस बार बारिश पूरी तरह से सामान्य होगी। मानसून भी 13 से 15 जून के बीच अपने समय से आ जाएगा। वर्ष 2021 में बिहार में 13 जून को यास तूफान के कारण बिहार में जमकर बारिश हुई थी। अब तक का पूर्वानुमान बिहार में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश का है। 2021 में 4 माह के मानसून सीजन जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में कुल 1044.5 एमएम बारिश हुई थी जो सामान्य बारिश 1017.2 से 27 एमएम यानि 3% अधिक रही। जून में साइक्लोन यास तूफान के कारण पूरे सीजन में सबसे अधिक बारिश हुई थी। इस बार मौसम विभाग के जानकारों का कहना है कि बारिश का डिपार्चर 99% होगा जो सामान्य या सामान्य से अधिक हो सकता है।

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