सर्दियों के मौसम में ट्रैक टूटने व पटरियों में दरार आने का खतरा बना रहता है। इससे निजात दिलाने के लिए रेलवे ने अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन मशीन (अल्ट्रासाउंड मशीन) सभी मंडल को भेजा है। यह मशीन रेल पटरियों पर चलायी जायेगी। अगर रेल पटरियों में दरार आयी तो अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन मशीन (अल्ट्रासाउंड मशीन) में घंटी बजने लगेगी। साथ ही संबंधित अधिकारियों को सूचना दे दी जायेगी।
यह मशीन रेलवे ट्रैक से गुजरेगी तो गड़बड़ी का पता चल जायेगा। ट्रैक के स्पर्श होते ही रिपोर्ट आ जाती है। किस जगह पटरी कमजोर है। जहां पर दरार होने की संभावना है। वहां रेड लाइट जल जाती है। अभियंता तत्काल मशीन को रोक देते हैं और ट्रैक पर उतरकर निशान लगाने के बाद आगे बढ़ जाते हैं। इसके बाद इंजीनियरिंग विभाग की टीम आकर उक्त जगहों को ठीक कर देंगे।
ECR के CPRO राजेश कुमार ने बताया की ठंड बढ़ने से ट्रैक के टूटने का खतरा ज्यादा रहता है। सतर्कता बरती जाती है। इसलिए इस मशीन को प्रतिदिन चलाया जाएगा है। अल्ट्रासाउंड मशीन से टेस्टिंग करने से कई फायदे हैं। एक तो समय कम लगता है। एक दिन में 10 से 15 किलोमीटर ट्रैक की टेस्टिंग हो जाती है। दूसरे कर्मचारियों की जरूरत भी नहीं पड़ती है। तत्काल रिपोर्ट भी आ जाती है। मशीन से रेलवे ट्रैक की मरम्मत भी संभव है। ट्रैक पर से मिट्टी निकालकर मशीन के द्वारा ही गिट्टी भर दिया जाता है। जल्द ही मुज़फ्फरपुर रेलखंड पर इस सेवा को शुरू कर दिया जाएगा।


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