मुजफ्फरपुर के सूबे के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड के मास्टरमाइंड को जिला पुलिस अबतक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पांच करोड़ के अधिक के फ्रॉड मामले की जांच में शिथिलता बरती जा रही है। अब तक 60 घोस्ट खातों के पता नहीं लगा है। जिसमें फ्रॉड की राशि भेजी जाती थी। टाउन थाना की पुलिस ने कोलकाता पुलिस से डिटेल्स मांगा था। लेकिन, अबतक उन खातों के डिटेल्स नहीं मिला है। इसलिए एकबार फिर से टाउन थाना की पुलिस कोलकाता पुलिस को रिमाइंडर भेजने की कवायद कर रही है। टाउन DSP रामनरेश पासवान ने थानेदार को निर्देशित किया है। इस संबंध में कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। SSP के माध्यम से कोलकता स्थित तीन निजी बैंकों को रिमांडर भेजी जाएगी।
बता दें कि, फ्रॉडों ने कोलकता स्थित तीन निजी बैकों में 60 घोस्ट खाता खोलकर उसमें करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर लिये थे। जिसके बाद वहां से राशि की निकासी भी की थी। 40 से अधिक खातों को पुलिस ने फ्रिज भी कराया था। इसके अलावा पुलिस ने वरीय अधिकारियों की मदद बंगाल पुलिस को 24 परगना के दोनों आरोपितों के सत्यापन रिपोर्ट तलब किया था। लेकिन, कोलकता स्थित बैंक और बंगाल पुलिस ने अबतक रिपोर्ट मुजफ्फरपुर पुलिस को नहीं सौंपी है। टाउन DSP रामनरेश पासवान ने बताया कि जांच जारी है। बैकों से दोबारा रिपोर्ट मांगी जाएगी।
1.41 करोड़ निकासी को लेकर हुई थी चार FIR
फ्रॉड गिरोह के शातिरों ने BSNL के रिटायरकर्मी, महिला और पुरुष प्रोफेसर व डॉक्टर के खातों से एक करोड़ 41 लाख रुपये का चुना लगा दिया। इसे लेकर नगर में दो, सदर में एक और काजी मोहम्मदपुर में एक केस दर्ज किये गये थे। इसकी शिकायत पुलिस तक जब पहुंची तो इसकी जांच शुरु हुई। जांच के दौरान इसका दायरा भी बढ़ा। इस दौरान पुलिस ने सादतपुर से एक शातिर जफर को दबोचा।
पूछताछ में जफर ने पूरी राज खोज दी। इसके बाद पुलिस टीम ने PNB के कैशियर नीतेश कुमार सहित छह साइबर फ्रॉड के शांतिरों को दबोचा था। फिलहाल सभी न्यायिक हिरासत में है। इन लोगों ने पुलिस को बताया कि वे लोग बंगाल के दो सार्गिदों के साथ मिलकर साइबर फ्राड किये रुपये को 60 छद्यम में ट्रांसफर किये गये थे। पुलिस को कई लोगों के नाम भी मिले।
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