पटना में डॉक्टरों ने एक 8 साल की मासूम सोनी के गले से एक रुपए का पुराना सिक्का निकाला है। सिक्का निगलने के बाद पेट में उतारने के लिए घर वालों ने केला के साथ खाना खिला दिया। इससे मासूम की हालत और बिगड़ गई। डॉक्टरों ने 6 घंटे के प्रयास में सिक्का निकालकर मासूम की जान बचाई। बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है। डॉक्टरों का कहना है कि घर वालों का सिक्का पेट में उतारने के लिए केला व खाना खिलाने का प्रयोग जानलेवा हो सकता था।
खेलने के दौरान निगल लिया था सिक्का
जगदेव पथ की रहने वाली 8 साल की सोनी खेलने के दौरान एक रुपए का पुराना बड़ा सिक्का निगल गई। बच्ची को जब समस्या हुई तो घर वाले डॉक्टर को दिखाने के बजाए गले में फंसे सिक्के को पेट में उतारने के लिए घरेलू उपाय करने लगे। इस दौरान बच्ची को केला और खाना खिलाया गया जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई।
परिजन बच्ची को लेकर सगुना मोड़ स्थित माई पीएचसी ईएनटी क्लीनिक पहुंचे। डॉक्टर जेके सिंह ने मरीज की हालत देखी तो वह बिगड़ रही थी। बड़ा सिक्का इसोफेगस में जाकर बुरी तरह से फंस गया था। इसोफेगोस्कोपी की मदद से सिक्का का पता लगाया गया फिर मासूम को इमरजेंसी में सगुना मोड़ स्थित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
गले के पास अटका सिक्का।
6 घंटे के प्रयास में गले से बाहर निकला सिक्का
डॉ जेके सिंह ने बताया कि सिक्का फंसने के बाद खाना व सिक्का पेट में उतारने के लिए किया गया घर वालों का प्रयास केस को गंभीर बना दिया था। इस कारण से मासूम को समय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। इसोफेगोस्कोपी की मदद से 6 घंटे के प्रयास में सिक्का गले से बाहर निकाला गया। डॉक्टर जेके सिंह का कहना है कि बच्ची को बेहोश कर सिक्का निकाला गया है। अगर घर वाले घरेलू उपचार के बजाय तत्काल लेकर आए हाेते तो इतनी समस्या नहीं होती।
सांस की नली में फंसता सिक्का तो मुश्किल
माई पीएचसी ईएनटी क्लीनिक के डॉ जेके सिंह का कहना है कि अक्सर ऐसे मामलों में सांस की नली में सामान फंस जाता है, जिससे मरीजों की जान बचा पाना मुश्किल हो जाता है। सांस की नली में कोई सामान फंस गया और घर वाले उसे खिलाने व अन्य घरेलू उपाय में फंस जाते हैं तो जान चली जाती है। छोटे बच्चों में ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं। ऐसे मामलों में घर वालों को कोई भी घरेलू उपाय नहीं करना चाहिए, तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर का कहना है कि अगर सिक्का इसोफेगोस्कोपी की मदद से भी नहीं निकलता तो बच्चे ओपन सर्जरी करनी पड़ती। सिक्का इसोफेगोस्कोपी की मदद से नकालने के दौरान भी स्लिप कर सकता था, इससे भी स्थिति गंभीर हो जाती लेकिन डॉक्टरों ने 6 घंटे के प्रयास में ही सिक्का निकाल लिया।
सिक्का फंसते ही सांस में होने लगी समस्या
डॉक्टर बताया कि सिक्का गले में अटकने के बाद बच्ची को खाने पीने और सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। समय हास्पिटल में डॉक्टर जे .के सिंह ने डॉक्टर संजय की मदद से बच्ची को बेहोश कर इसोफैगोस्कोपी करके सिक्का निकाल दिया। बच्ची की उम्र महज 8 साल थी इसलिए डर था की सिक्का खाने के नली में नीचे ना फिसल जाए। अगर थोड़ी सी भी चूक होती तो बहुत बड़ा नुकसान होने की आशंका थी। इस काम मे सावधानि की आवश्यकता थी। सिक्का निकालने के बाद बच्ची को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। इस पूरी प्रक्रिया में बच्ची के शरीर में कहीं चीरा नहीं लगाना पड़ा ।
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