BIHARBreaking NewsMUZAFFARPURSTATE

मुजफ्फरपुर का सिमरा गांव बाढ़ में विलीन हुआ तो 2 महिलाओं ने 22 हजार कर्ज लेकर खऱीदी नाव, खुद से चप्पू चला खेव रही गांव की ‘नैया’

मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड का सिमरा गांव बाढ़ से तबाह हो चुका है। बूढ़ी गंडक ने रौद्र रूप धारण कर लिया है, जिसके काऱण गांव में चारों ओर पानी ही पानी है। ऐसे में लोगों को जरूरत का सामान लाने के लिए गांव से करीब 4.5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके लिए एकमात्र सहारा नाव है। लेकिन, समस्या ये है कि गांव में केवल महिलाएं ही हैं। गांव के अधिकांश पुरुष बाहर रहकर कमाते हैं। ऐसे में जब सिमरा गांव की दो महिला संजीदा और सुजिया देवी बाढ़ में फंसीं तो उन्होंने कर्जा लेकर एक नाव ही खरीद लिया। उन्होंने बताया कि राशन-पानी पर जब लाले पड़ने लगे तो उन्होंने 22 हजार रुपए कर्जा लेकर एक नाव खरीदा। इससे वे अपने घर के लिए राशन-पानी भी लाती हैं और गांव के अन्य लोगों को भी नाव से पहुंचाती हैं। पूरे इलाके में दोनों की खूब चर्चा हो रही है।

दरअसल, मुजफ्फरपुर जिले के कई प्रखंड के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। लोग पिछले कई दिनों से ऊंचे स्थान पर शरण ले रहे हैं। वहीं, कई इलाकों में संपर्क टूट जाने से नाव के सहारे लोग आने-जाने को मजबूर हैं। इसी क्रम में बंदरा प्रखंड का सिमरा गांव चारों तरफ से बाढ़ के पानी में डूब चुका है। लोगों की समस्या है कि इस बाढ़ में आखिर राशन-पानी कहां से आए। संजीदा और सुजिया देवी को भी राशन-पानी की ही चिंता हुई तो उन्होंने कर्जा लेकर नाव खरीदी। संजीदा ने बताया कि हमने 22 हजार रुपए कर्जा लिया है। इसके बाद ही नाव खरीद पाए। खाने पर लाले पड़ गए थे इसलिए नाव खरीदनी पड़ी।

बाढ़ के बीच इस समय गांव में पुरुष नहीं हैं। सभी बाहर रहकर कमाते हैं, जिसके कारण बच्चों की परवरिश पूरी तरह से महिलाओं पर ही है। सुजिया देवी ने बताया कि अभी गांव में कोई पुरुष सदस्य नहीं है। इसलिए नाव के सहारे से जरूरत की चीजों को लेकर आना-जाना पड़ता है। सरकारी नाव भी गांव में नहीं है। इसकी वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। लेकिन इसमें डर भी लगता है, लेकिन मजबूरी में ऐसा करना पड़ रहा है। अब इसको इनकी बहादुरी कही जाए या लाचार सरकारी सिस्टम की मजबूरी, लेकिन ये काबिले तारीफ तो जरूर है।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.