बिहार में नौकरी की कि’ल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एमबीए और एमसीए की डिग्री वाले भी चपरासी, माली और गेटकीपर तक बनना चाह रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बिहार विधानसभा के ग्रुप डी के 166 पदों के लिए आए पांच लाख आवेदनों की, जिसमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट से लेकर एमबीए और एमसीए किए तक लोगों ने आवेदन दिया है। इसे लेकर बिहार की राजनीति में भी बयानबाजी हो रही है।एक पद के लिए तीन हजार दावेदार हैं। बता दें कि ग्रुप डी के दायरे में चपरासी, माली, गेटकीपर, सफाईकर्मी जैसे पद हैं और इन पदों पर काम करने के लिए एमबीए और एमसीए डिग्रीधारक भी तैयार हैं। पदों के लिए आवेदन की संख्या के अनुसार 4,99,832 आवेदन छंट जाएंगे।
एक दैनिक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार कुछ आवेदनकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बहुत मजबूरी में इन पदों के लिए अप्लाई किया है, क्योंकि दूसरा कोई उपाय नहीं है। हा’लात ऐसे हैं कि ये उच्च शिक्षित उम्मीदवार इस आस में बैठे हैं कि दस हजार की भी नौकरी पा जाएं तो बहुत है। सरकारी नौकरी अहम है। इनमें से ऐसे उम्मीदवार हैं जो अपने ही राज्य में नौकरी करना चाहते हैं।जदयू नेता और बिहार के शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि बेरोजगारी ही है, जिसकी वजह से 186 Group-D पोस्ट के लिए पांच लाख आवेदन आए हैं। रोजगार कम हैं और आवेदकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इससे निपटने के लिए सरकार को कोई तकनीक अपनानी चाहिए। इधर, इस मुद्दे को लेकर बिहार में राजनीति ग”रमा गई है।
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने इसे देश में और राज्य में बेरोजगारी का नमूना बताया है। उन्होंने कहा कि इन पदों पर इंटरव्यू बिते सितंबर में शुरू हुआ है और रोज डेढ़ हजार आवेदकों का इंटरव्यू हो रहा है और इसके लिए बिहार के साथ ही मध्य प्रदेश और झारखंड से भी लोग आ रहे हैं। यह दर्शाता है कि पूरे देश में बेरोजगारी की स्थिति कितनी भ’यावह है।वहीं, राजद विधायक अनवर आलम ने भी प्रेमचंद्र मिश्रा की बातों का समर्थन किया और कहा देश के लिए इससे बड़े दुर्भा’ग्य की बात और क्या होगी कि बड़ी डिग्रि”यां रखनेवाले भी मा’मूली पदों पर काम करने को तैयार हैं। ये नौजवानों के वि’वशता की पराकाष्ठा है।
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