औरंगाबाद जिला स्ट्रॉबेरी की खेती में इतिहास रच चुका है, लेकिन अब सेब की खेती में भी इतिहास रचेगा। क्योंकि बिहार का सबसे गर्म जिला होने के बावजूद औरंगाबाद में भी सेब की खेती की जा रही है। कुटुम्बा प्रखंड के चिल्हकी बिगहा गांव के प्रगतिशील किसान ब्रजकिशोर मेहता ने प्रखंड के जौड़ा गांव में सेब की खेती की है। फिलहाल लगभग दो कट्ठा में 100 पेड़ से इसकी शुरुआत की गई है। पौधा में फल भी लगने लगा, लेकिन दो साल तक पौधा को मैच्योर होने तक उसके फल को छोटे साइज में ही तोड़ लेना है। ताकि सेब का पौधा मैच्योर हो सके। तीसरे साल से फल का व्यवसायीकरण शुरू होगा।
दो दिन की ट्रेनिंग लेने के बाद सेब की खेती शुरू की
किसान ब्रजकिशोर मेहता ने बताया कि जिला उद्यान कार्यालय द्वारा उन्हें गर्म प्रदेश में भी सेब की खेती की ट्रेनिंग के लिए समस्तीपुर पुषा कृषि विज्ञान केन्द्र भेजा गया था। जहां दो दिनों तक ट्रेनिंग दिया गया है। सेब की खेती करने के तौर-तरीके बताए गए। इसके बाद उद्यान विभाग द्वारा ही जनवरी 2022 में हरमन-99 किस्म का पौधा अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया गया। हरमन-99 किस्म के पौधा को गर्म प्रदेश के लिए ही खासकर तैयार किया गया है। 100 पौधा खरीदने में लगभग 10 हजार रुपये लगा।
खेत में लगे सेब के पौधे।
इसके बाद दोमट मिट्टी वाले खेत का चयन किया। कुटुम्बा प्रखंड के जौड़ा में दोमट मिट्टी है। जगह चयन करने के बाद पांच-पांच फीट की दूरी पर दो फीट गोलाकार व दो फीट गहराई वाला गड्ढा खोदा। फिर उसमें ऑर्गेनिक खाद डाला। इसके बाद पानी से गड्ढा को भर दिया। ताकि ऑक्सीजन पानी के सहारे बाहर निकल जाए। क्योंकि अगर ऑक्सीजन बाहर नहीं निकलेगा तो पौधा सड़ जाएगा।
गड्ढा में पानी खत्म होने के बाद उसकी रोपाई कर दिया। लगभग एक साल होने के बाद पहल फल लगा। जिसे छोटे साइज में ही तोड़ दिया गया है। फिलहाल पौधा लगभग डेढ़ साल का हो गया है। तीसरे साल से फल को बाजार में उतारा जाएगा।
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