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पैक्सों पर सन्नाटा…क्योंकि नेपाल गटक रहा गेहूं:तस्करी पर रोक नहीं लगी तो आटे की कीमत में होगी बेतहाशा वृद्धि

नेपाल का सीमाई इलाका अब गेहूं तस्करी का जोन बन गया है। तीन माह पहले तक यहां खाद तस्करी जोरों पर होती थी। इन दिनों गेहूं तस्करी बेरोक-टोक जारी है। नेपाल में गेहूं की कीमत 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल है, तस्कर इसे भारत में 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं। क्याेंकि, भारत के खुले बाजार में गेहूं की कीमत 23 साै रुपए प्रति क्विंटल है। नेपाल में गेहूं का भाव बढ़ा तो तस्करों ने गेहूं बार्डर पार पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया है। सीमा पर कई बार तस्कर पकड़े जा चुके हैं। नेपाल से सटे जिलों की सीमा पूरी तरह खुली है।

यहां लोग बेरोक-टोक आवागमन करते हैं। इसी का फायदा तस्कर उठाते हैं। बॉर्डर के मुख्य रास्तों पर एसएसबी, स्थानीय पुलिस या सुरक्षा एजेंसी रहती है, इसलिए तस्कर दिन भर पगडंडी के सहारे गेहूं नेपाल में एक निश्चित जगह पर स्टोर करते हैं। जब गेहूं की बड़ी खेप पकड़ी जाने लगी तो तस्करों ने प्लान बदल दिया। वे छोटे-छोटे बच्चों, बेरोजगार और महिलाओं को पकड़कर 50 रुपए बोरी दे रहे हैं। बस उन्हें साइकिल से गेहूं नेपाल से भारत में पार करना होता है। इन लोगों को किसान समझकर सुरक्षा एजेंसियां भी कुछ नहीं करती।

अलग खर्च… पैक्सों में बेचने के लिए खुद किराया भी भरते हैं किसान

गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य 2125 प्रति क्विं. है। इंडाे-नेपाल सीमा के सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए किसानों को भाड़ा देकर ले जाना पड़ेगा। तौल का भी खर्च लगेगा। हमारे यहां बाजार मूल्य 23 साै रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं नेपाली तस्कर के कैरियर किसान के घर से 25 साै की दर से गेहूं ले जा रहे हैं। न इन्हें ताैल का खर्च लग रहा, न ही कहीं दूसरे जगह पहुंचाने का झंझट।

फसल अच्छी पर बढ़ेगी महंगाई

पूर्णिया के फ्लावर मिल संचालक विक्रम सिन्हा कहते हैं, गेहूं की नेपाल में हो रही तस्करी का असर यह होगा कि यहां आटा महंगा हो जाएगा। इस साल गेहूं की फसल अच्छी हुई है। बिहार में गेहूं की सरकारी क्रय प्रणाली लचर है। मिल में आटा 27 सौ प्रति क्विंटल है, जो बाजार में 3 हजार की दर से बिकता है। तस्करी पर रोक नहीं लगाया गया तो तीन-चार महीने में ही आटा के दाम आसमान चढ़कर बोलेंगे।

किसानाें का दर्द… पैक्स में गेहूं बेचने पर पैसे के लिए करना पड़ता है इंतजार

नाम नहीं छापने की शर्त पर किसानों ने बताया कि एक तो बाढ़-सुखाड़ का दंश झेलते हुए मेहनत के अनुरूप फसल नहीं उपजती है। पैक्स में गेहूं भी बेचेंगे तो पैसों के लिए इंतजार करना पड़ेगा। जबकि नेपाल के व्यापारी घर से गेहूं खरीदकर ले जाते हैं।

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