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मुजफ्फरपुर में रेबीज इंजेक्शन तस्करी मामला:स्वास्थ्य विभाग ने लिया संज्ञान

मुज़फ़्फ़रपुर सदर अस्पताल के ओटी असिस्टेंट निलेश कुमार की गिरफ्तारी मामले में अब स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान ले लिया है। सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने अस्पताल के उपाधीक्षक से पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। विभाग अपने स्तर से टीम बनाकर जांच कर करेगी करवाई। सदर अस्पताल के कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है। कई कर्मियों भी जाँच के दायरे में है। फिलहाल नीलेश को पद से हटा दिया गया है।

डॉ उमेश चंद्र शर्मा - सिविल सर्जन

डॉ उमेश चंद्र शर्मा – सिविल सर्जन

दवा कारोबारी की गिरफ्तारी के बाद हुआ खुलासा

बीते सोमवार को हरियाणा पुलिस मुजफ्फरपुर पहुँची। सदर अस्पताल के ओटी असिस्टेंट नीलेश को गिरफ्तार भी कर लिया। मंगलवार को कोर्ट से ट्रांजिट रेमंड लेकर पुलिस नीलेश को हरियाणा ले गई। हरियाणा पुलिस ने बताया कि नीलेश ओरिसा के एमआर अनिरुद्ध गौड़ के साथ मिलकर रेबीज इंजेक्शन की तस्करी करता था। हरियाणा में दवा कारोबारी प्रवीण के गिरफ्तारी के बाद यह मामला उजागर हुआ। वही नीलेश की गिरफ्तारी के बाद मामला पूरी तरह स्पष्ट हो गया है।

दवा स्टोर सेंटर

दवा स्टोर सेंटर

बाजार में छह हजार में मिलता है इंजेक्शन

दरअसल बेरीरैब पी नामक रेबीज इंजेक्शन वन टाइम इंजेक्शन है। यह दवा कुत्ते के काटने के बाद अगर खून में संक्रमण हो जाए या मांस निकल जाये, तो दी जाती है। यह दवा आम एंटी रैबीज से अलग है। सरकारी अस्पताल में यह इंजेक्शन मुफ्त में दी जाती है। वही बाज़ार में इसकी किमत चार से छह हजार रुपया तक है। यह इंजेक्शन आसानी से नहीं मिलती है।

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