पूर्वी चंपारण. मोतिहारी का नरसिंह बाबा मठ अपने आध्यात्मिक एवं धार्मिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है. यहां मुख्य रूप से साक्षात देवता के रूप में हनुमान जी की पूजा की जाती है. सैकड़ों की संख्या में लोग प्रतिदिन यहां भगवान के दर्शन करने के साथ-साथ हवन एवं ध्यान करने के लिए आते हैं. साथ ही यहां के आध्यात्मिक वातावरण का लाभ उठाते हैं. मठ से जुड़े अधिवक्ता मुरारी पांडे कहते हैं कि नरसिंह बाबा मठ की यही खासियत है कि यहां आने वाला जो कोई कुंवारा लड़का-लड़की हनुमान जी से मनोयोग से मन्नत मांगता है, कुछ ही दिनों में उसकी शादी सेट हो जाती है.
अंग्रेज अफसर भी हो गए थे बाबा के मुरीद
बताया जाता है कि मठ के संस्थापक नरसिंह मिश्र उर्फ नरसिंह बाबा मूल रूप से पूर्वी चंपारण जिले के चटिया गांव के रहने वाले थे. वह अंग्रेज सरकार में ओल्ड कोर्ट कैंपस में ट्रेजरी ऑफिस में गार्ड थे. लेकिन उनका मन सदैव भगवान के चिंतन में ही लगा रहता था.बाबा के नाती अधिवक्ता मुरारी पांडे कहते हैं कि उनके नाना शुरू से ही आध्यात्मिक चित्तवृत्ति के व्यक्ति थे. नौकरी के दौरान ही उन्होंने मठ की स्थापना की थी. श्रीपांडे कहते हैं कि बाबा के सहकर्मी उनकी शिकायत किया करते थे, लेकिन जांच में सबकुछ ठीक निकला. इसके बाद अंग्रेज अफसर भी बाबा के मुरीद हो गए.
चंपा का पौधा अशोका में बदल गया
उनके नाती कहते हैं कि नरसिंह बाबा के दो शिष्य जगदंबा सिंह एवं रामदेनी सिंह थे. जगदंबा सिंह पौधा लगवा रहे थे. इसी दौरान नरसिंह बाबा पूजा करके वहां पहुंचे. उन्होंने जगदंबा सिंह से पूछा कि आपने यह क्या लगवा दिया है. इसपर जगदंबा सिंह ने जवाब दिया कि माली ने स्वर्ण चंपा का पौधा लाकर दिया है, वही लगाए हैं. इस पर नरसिंह बाबा ने कहा कि यहां अशोका का पौधा लगाना था, हालांकि तुम स्वर्ण चंपा लगा दिए हो तो रहने दो. उनके नाती का कहना है कि भविष्य में वही चंपा का पौधा अशोका के पेड़ में बदल गया.
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